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दिन शुक्रवार
क्या चलोगे साथ मेरे/
उस गगन के पार।
क्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार.....
सपने कुछ तेरे मेरे,
झील के उस पार....
छोड़ दो सारी बलाएये,
हमने माँगी है दुवाये
रात की खामोशियाँ है
बह रही ठंडी हवाये,
कैसा प्यारा पल ...
ओ मेरे प्रियवर.....
आ चले हम साथ .....
उस गगन के पार....
रात काली है सुहानी,
होंठ पर गुमसुम कहानी,
चाँद की अठखेलियाँ है,
दूर हुई तन्हाइयाँ है,
रात ढ्ल रही है,
बात कर रही है,
हो न जाए भोर,
मन मेरा विभोर,
साथ तेरा
...
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पा गई मैं,
मिल गया आसार.......
क्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार........
स्वरचित पूनम दुबे अम्बिकापुर छत्तीसगढ़
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hace 12 meses
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